शनिवार 2 अगस्त 2025 - 10:33
निराशा सबसे बड़ा गुनाह और विनाश का कारण है।मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी

हौज़ा / मुंबई के पालागली स्थित ख़्वाजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद के इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल इस्लाम सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने जुमआ के ख़ुत्बे में कहा कि निराशा सबसे बड़ा गुनाह और विनाश का कारण है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने जुमआ के ख़ुत्बे में नमाज़ियों को तक़्वा की नसीहत करते हुए कहा कि तक़्वा-ए-इलाही हमारी सबसे पहली ज़िम्मेदारी है। निस्संदेह हर वह इंसान जो तक़्वे के साथ ज़िंदगी गुज़ारता है दुनिया में कभी भी ऐसी मुश्किलात और परेशानियों में नहीं फंसता जिनसे निकलना मुश्किल हो क्योंकि ख़ुदावंद-ए-आलम ने क़ुरान मजीद में ऐलान किया है कि जो तक़्वा इख़्तियार करेगा अल्लाह उसके लिए रास्ते आसान कर देगा। 

मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने नाउम्मीदी और निराशा के नुक़सान बयान करते हुए कहा कि क़ुरान करीम और अहादीस-ए-मासूमीन (अ.स.) की रौशनी में नाउम्मीदी और निराशा कुफ़्र है। निराशा सबसे बड़ा गुनाह है विनाश का पेश ख़िम्मा है निराशा आग है जो जला देती है। 

मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने दुआ-ए-कुमैल के फ़क्रा इरहम मन रअसु मालिहिर्रजा यानी ऐ ख़ुदा! तू उस पर रहम कर जिसका सारा माल (पूंजी) तुझसे उम्मीद हो को बयान करते हुए कहा कि हम मौला अली (अ.स.) पर ईमान रखते हैं, इसलिए उनके फ़रमान पर अमल करें और यक़ीन कर लें कि हमारी पूरी पूंजी उम्मीद है नाउम्मीदी नहीं है। 

मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने कहा कि अभी इमाम हुसैन (अ.स.) के मातम के दिन (अय्याम-ए-अज़ा) हैं। कोशिश करें कि वह काम करें जिससे हम अहल-ए-बैत (अ.स.) के क़रीब हों, ऐसे काम न करें जिससे हम अहल-ए-बैत (अ.स.) से दूर हो जाएं। 

मौलाना सय्यद ज़फर रिज़वी ने मोमिनीन से अपील करते हुए कहा कि ऐसी वीडियोज़ को सोशल मीडिया पर शेयर करने और दूसरों को फॉरवर्ड करने से परहेज़ करें जिससे क़ौम की बदनामी होती है। बल्कि जो भी ऐसी चीज़ें भेज रहे हैं, उन्हें भी मना करें और जिनकी वीडियो हो, उनसे बात करके समझाएं कि आगे ऐसा न करें। हम ख़ुद किसी बुरी बात या बुरे काम को फैलाने का सबब न बनें। 

मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने इमाम हुसैन (अ.स.) की हदीस मेरे जैसा, उस (यज़ीद) जैसे की बैअत नहीं कर सकता को बयान करते हुए कहा कि यानी क़यामत तक हुसैन (अ.स.) यज़ीद की बैअत नहीं कर सकते। कोई भी हुसैनी किसी यज़ीद की बैअत नहीं कर सकता।

आज ग़ाज़ा में जिन्हें भूखा मारा जा रहा है, उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं ज़ालिम से बराइत का इज़हार करें। एक साल से ज़्यादा समय तक इन लोगों को हथियारों से मारा गया और अब कुछ महीनों से भूख से मारा जा रहा है। कहाँ हैं मानवाधिकार का नारा लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं? आख़िर क्यों ख़ामोश हैं? 

मौलाना सय्यद रूहे ज़फर रिज़वी ने अज़ादारी के सिलसिले में कहा कि हम लोगों को दिखाने के लिए काम न करें, बल्कि सिर्फ़ मौला को दिखाने के लिए काम करें।

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